“मानवता की राखी” – मुस्लिम बहन ने अपने हिंदू भाई को बांधी राखी

“मानवता की राखी” – मुस्लिम बहन ने अपने हिंदू भाई को बांधी राखी

वलसाड/मुंबई – इस रक्षाबंधन पर गुजरात के वलसाड में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर किसी के दिल को छू लिया। मुंबई की 16 वर्षीय मुस्लिम युवती अनमता अहमद अपने परिवार के साथ वलसाड पहुँची, ताकि शिवम मिस्त्री, एक हिंदू युवक और अपनी दिवंगत डोनर बहन रिया के बड़े भाई, को राखी बाँध सके। यह सिर्फ़ एक त्यौहार का रस्म नहीं, बल्कि जीवन का वह ऋण चुकाने का भाव था जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।

करीब 11 महीने पहले, 2024 में, नौ वर्षीय रिया को ब्रेन डेड घोषित किया गया था। दुःख के उस कठिन समय में, रिया के परिवार ने उसकी याद को ज़िंदा रखने के लिए उसका हाथ डोनेट लाइफ नामक एनजीओ के माध्यम से दान कर दिया। यह हाथ अनमता के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया, जिसने 2022 में एक दुर्घटना में अपना हाथ खो दिया था। यह दान न केवल उसकी ज़िन्दगी में रोशनी लेकर आया, बल्कि दो अलग धर्मों के परिवारों को अटूट रिश्ते में बाँध गया।

शनिवार को, दोनों परिवारों ने एक अनोखा रक्षाबंधन मनाया। पहली बार अनमता और शिवम भाई-बहन की तरह इस त्यौहार में शामिल हुए — एक ऐसा रिश्ता, जो दुःख, बलिदान और प्रेम से जुड़ा था।

अनमता ने भावुक होते हुए कहा – “मेरे पास कोई भाई नहीं और शिवम ने अपनी इकलौती बहन को खो दिया। अब से शिवम मेरा भाई है और मैं उसकी बहन। मैं हर साल उसे राखी बाँधूँगी। मुझे ऐसा लग ही नहीं रहा कि मैं उसके परिवार से पहली बार मिल रही हूँ। सबने मुझे इतना प्यार दिया।”

इस पल को और भी भावुक बना दिया वह क्षण जब शिवम ने वही राखी अपनी कलाई पर बंधवाई, जो रिया के दान किए गए हाथ से बंधी थी — मानो रिया की याद फिर से जीवित हो गई हो।

आज अनमता पूरी तरह स्वस्थ हो रही है, बारहवीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है और सोशल मीडिया पर अपनी कहानी से हजारों लोगों को प्रेरित कर रही है। वहीं, शिवम के लिए रक्षाबंधन का अर्थ फिर से लौट आया — यह याद दिलाते हुए कि प्यार और भाईचारा धर्म, जाति और सीमाओं से परे है।

यह भावनात्मक मुलाकात हिंदू–मुस्लिम एकता की मिसाल बन चुकी है और यह संदेश दे रही है कि जब दिल जुड़ते हैं, तो मानवता हमेशा जीतती है। अंगदान से जुड़े कार्यकर्ता आशा कर रहे हैं कि यह कहानी और लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करेगी — ताकि और ज़िंदगियाँ बचाई जा सकें और ऐसे रिश्ते बन सकें, जो हमेशा के लिए अमर हो जाएँ।

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