SuryaNamaskar Mantra-(shloka) and Surya Namasar Asanas Name list in Hindi

सूर्यनमस्कार मन्त्र और सूर्यनमस्कार आसन के नाम  और फायदे 

सूर्यनमस्कार, योग अभ्यास काएक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसेसर्वांग योगभी कहा जाताहै जिसका अर्थ है चौतरफाव्यायाम। केवल सूर्य नमस्कारदैनिक अभ्यास व्यक्ति को पूर्ण योगअभ्यास का लाभ देनेमें सक्षम है। यह हमेंस्वस्थ और तेजस्वी बननेमें मदद करता है।बच्चों से लेकर बड़ोंतक, महिलाएं या पुरुष इसआसन को कर सकतेहैं। यदि हम इसेनियमित रूप से करतेहैं, तो यह हमारीआयु, बुद्धि, शक्ति, वीर्य और चमक कोबढ़ाता है। दरअसल, सूर्यनमस्कार 12 मुद्राओं में किया जानेवाला योग है। सूर्यनमस्कार योग में निम्नलिखित चीजे सम्मलित है:
     12 सूर्य नमस्कार मंत्र (सूर्य नमस्कार श्लोक)
     12 योगआसन (योगमुद्राएं)
इन मंत्रों का जाप करतेहुए, हम भगवान सूर्यकी अलगअलग नामोंसे पूजा करते हैं।जबकि ये योगआसनहमें आगे चुनौतीपूर्ण औरलंबे समय तक योगआसनों में मदद करतेहैं। सूर्य नमस्कारसूर्य नमस्कार मंत्र:
1. ओममित्रे नमः
2. ओमरवैये  नमो
3. ओमसूर्याय नमः
4. ओमभानवे नमः
5. ओमखगाय नमः
6. ओमपुष्णेय नमः
7. ओमहिरण्यगर्भाय नमोह
8. ओम  मारीचे  नमोह
9. ओमआदित्यायें  नमो
10. ओमसावित्रे  नमः
11. ओमआर्काय  नमः
12. ओमभास्करे नमो
सूर्यनमस्कार मंत्रों के अर्थ निम्नलिखितहैं
1. ओममित्रे नमो: “मित्रेएक संस्कृत शब्दहै। यहमित्रसे लिया गयाहै। इसका मतलब हैदोस्त।
श्लोकका अर्थ: हम उस ईश्वरसे प्रार्थना करते हैं जोसभी का मित्र है।
2. ओमरवि नम: रावण भीएक संस्कृत शब्द है। यहरविसे लिया गयाहै। रवि को चमकदारमाना जाता है, यहसूर्यका हिंदी पर्यायहै।
श्लोकका अर्थ: हम उस व्यक्तिसे प्रार्थना करते हैं जोचमकदार और उज्ज्वल है।
3. ओमसूर्याय नम: इसमें हमसीधे सूर्य देव की वंदना  करतेहै। हिंदी में, सूरज भगवान  कोमूल रूप सेसूर्यकहा जाता है।
श्लोकाका अर्थ: हम भगवान सूर्यसे प्रार्थना करते हैं (सूर्य)
4. ओमभानवे नमो: भानव शब्दभानुसे लिया गया है।यह सूर्य  काहिंदी पर्यायवाची  भीहै। भानु का अर्थहै प्रकाश का स्रोत।
उच्चारण: भावाय।
श्लोकका अर्थ: हम उस व्यक्तिसे प्रार्थना करते हैं जोब्रह्मांड में प्रकाश कास्रोत है।
5. ओमखगाय नम: खग शब्दखगशब्द से लियागया है। खग काअर्थ है, जो आकाशमें रहता है।
उच्चारण: य।
श्लोकका अर्थ: हम उसी कीप्रार्थना करते हैं जोआकाश में रहता है।
6. ओमपुष्ने नमोह: पुष्न शब्दपोषनशब्द से लियागया है। इसका मतलबहोता है पोषण करना(खिलानापिलाना  औरसवस्थ रखना )
उच्चारण: पुनाय।
अर्थ: हम पोषण के दाताहोने के लिए प्रार्थनाकरते हैं।
7. ओमहिरण्यगर्भाय नम: हिरणगृभाय  दोशब्दों का एक संयोजनहैहिरण (हिरण) + हड़ (गर्भ)हिरण के गर्भ कोब्रह्मांड में जीवन कीशुरुआत भी माना जाताहै। जैसा कि हीरंगबर्डभी सुनहरे अंडे का पर्यायहै।
उच्चारण: hiran-y-Grabhya-y
श्लोकका अर्थ: हम उस देवतासे प्रार्थना करते हैं जिसकेपास स्वर्णिम तेज है।
8. ओममरिचै नमोह: मारीच शब्द भीमारीचशब्द से लिया गयाहै। यह भी सूर्यशब्द का हिंदी पर्यायवाची  भीहै। मरीचि ब्रह्मांड के निर्माता (भगवानब्रह्मा) के 1 पुत्र थे।मारीच्य का अर्थ हैप्रकाश की किरणें
उच्चारण: Ma-ri-che-y
भावार्थ: हम भगवान से प्रार्थना करतेहैं, कि प्रकाश कीकिरणें कौन हैं।
9. ओमआदित्य नमो: आदित्य कोमाता अदिति (सार्वभौमिक माता) का पुत्र मानाजाता है।
उच्चारण: Aa-di-t-ya
भावार्थ: हम माँ अदिति केपुत्र होने की प्रार्थनाकरते हैं।
10. ओमसावित्रे नमोह: यह सावित्री शब्दसे निकला है। सूर्योदय औरसूर्यास्त के दो राज्यहैं। हिंदी या संस्कृत मेंसूर्योदय से पहले, इसेसावित्रके रूप मेंजाना जाता है औरसूर्यास्त के बाद इसेसूर्यके रूप मेंजाना जाता है।
उच्चारण: Sa-vi-t-re
भावार्थ: हम प्रार्थना करते हैं किहम संसार को जगाने जारहे हैं।
11. ओमअर्काय नमोह: अर्क शब्दअर्कसे लिया गया है।अर्क का अर्थ हैपूजायोग्य।
भावार्थ: हम अपने आराध्य सेप्रार्थना करते हैं।
12. ओमभास्कराय नमोह: यह विश्व भास्करसे प्राप्त हुआ है। भास्करमें दो शब्द आतेहैं भा: (प्रकाश औरज्ञान) + कर (करो)तो, इसका मतलब हैकि प्रकाश और ज्ञान केसाथ हमारे जीवन को कौनहल्का कर सकता है।
अर्थ: हम उस व्यक्ति सेप्रार्थना करते हैं जोहमें अंधकार से बचाता हैऔर हमें प्रकाश औरज्ञान देता है।
सभीबारह सूर्य नमस्कार आसनों का नाम:
सूर्यनमस्कार में 12 चरण होते हैं।इसमें 7 चरणों के बाद, फिरहम उसी क्रम कोउल्टे क्रम में दोहरातेहैं। इस आसन कोसुबह सूर्य की किरणों केसामने करना चाहिए। हमएक दिन में 4 बारसूर्य नमस्कार कर सकते हैं।इन आसनों का अभ्यास स्वच्छऔर खुले हवादार वातावरणमें करें। इन आसनों कोक्रम से किया जानाचाहिए।
प्रणाममुद्रा
हस्त्उत्तनासन (हस्त् उत्तानासन)
पादहस्तासन (पादासन)
अश्वसंचलान / अश्वसंचलान (अश्व संचालन)
पर्वतासन
अष्टांगनमस्कार (अष्टांग नमस्कार)
भुजंगआसन (भुजंगासन)
पर्वतासन
अश्वसंचलान (अश्व संचालन)
पादहस्तासन (पादासन)
हस्तउत्तनासन (हस्त् उत्तानासन)
प्रणाममुद्रा
1. प्रणाममुद्रा:
प्राणायाममुद्रा सूर्यनमस्कार का पहला चरणहै।
2. हस्तउत्तानासन:
हस्तउत्तानासन सूर्यनमस्कार आसन का दूसराचरण है।
3. पादहस्तसाना
सूर्यनमस्कार आसन में चरणहस्तासन तीसरा चरण है।
4. अश्वया अश्व संचलन:
यह सूर्य नमस्कार में 4 वां चरण है।इस चरण में एकबार जब हम दोनोंहथेली के बीच दाहिनापैर रखते हैं तोहम बाएं पैर कोरखते हैं, सूर्य नमस्कारआसन के अगले चक्रमें, 4 वें चरण में, हम बाएं पैर कोदोनों हथेलियों के बीच मेंरखते हैं और फिरहम दोनों पैरों को दोनों हथेलियोंके बीच में रखतेहैं बाएं पैर केपास।
5. पर्वतासन
सूर्यनमस्कारआसन में अगला चरणपर्वतासन  है।
6. अष्टांगनमस्कार
आर्यनमस्कारका 6 वाँ चरण अष्टांगनमस्कार है।
7. भुजंगआसन:
सूर्यनमस्कारआसन में 7 वां चरण भुजंगासनहै।
8. पर्वतासन:
8 वेंचरण में, हम फिरसे पर्वतासन  स्थितिमें आते हैं। औरइसलिए हम आखिरी आसनदोहराएंगे।
9. अश्वसंचलन:
सूर्यनमस्कारके 9 वें चरण मेंहम अश्व संचलान आसनको दोहराएंगे।
10. पादहस्तासन:
10 वेंचरण में, हम फिरसे पद्मासन की स्थिति मेंआते हैं।
11. हस्तउत्तानासन:
सूर्यनमस्कारके 11 वें चरण मेंहम हस्उत्त्यासन दोहराएंगे।
12. प्रणाममुद्रा:
और सूर्यनमस्कार आसन के अंतिमऔर 12 वें चरण मेंहम अपने पहले चरणप्रणाम मुद्रा में फिर सेआते हैं।
सूर्यनमस्कार आसन के लाभ:
रक्तसंचार बढ़ता है
सूर्यनमस्कार हड्डियों को मजबूत बनाताहै।
आँखोंकी ज्योति बढ़ती है।
शरीरमें रक्त प्रवाह तेजहोता है, जिससे रक्तचापकी बीमारी में आराम मिलताहै।
यह मन के लिएभी फायदेमंद है।
यह फैट कम करनेमें भी सहायक है।
बालोंके झड़ने और रूसी कोरोकता है।
यह क्रोध को नियंत्रित करनेमें सहायक है।
यह हमारी कमर को लचीलाबनाता है
यह रीढ़ की हमारीहड्डी को मजबूत बनाताहै।
त्वचारोग होने की संभावनासमाप्त हो जाती है।
दिलऔर फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाताहै।
कलाई, हाथ और कमर मजबूतबनते हैं।
कशेरुकऔर कमर लचीली होजाती है।
पाचनप्रक्रिया में सुधार होताहै।
मनकाएकाग्रता बढ़ता है।
यह शरीर के सभीअंगों, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं कोसक्रिय करता है।
इसकेअभ्यास से शरीर कीलोचदार शक्ति नाटकीय रूप से बढ़जाती है। वयस्क औरबूढ़े भी नियमित रूपसे इसका अभ्यास करतेहैं, फिर उनका शरीरलोच बच्चों जैसा हो जाताहै।
शरीरके सभी महत्वपूर्ण ग्रंथियोंके स्राव को संतुलित करनेमें मदद करता है, जैसे कि पिट्यूटरी, थायराइड, पैराथायराइड, अधिवृक्क, यकृत, अग्न्याशय, अंडाशय आदि।
शरीरके सभी संस्थानों, रक्तपरिसंचरण, श्वास, पाचन, उत्सर्जन, नाड़ी और ग्रंथियों कोसक्रिय और मजबूत करताहै।
पाचन, अपच, कब्ज, अपच, गैस, पफपनऔर भूख लगनासे संबंधित समस्याओं को हल करनेमें बहुत उपयोगी भूमिकानिभाता है।
वात, पित्त और कफ कोसंतुलित करने में मददकरता है। त्रिदोष कोरोकने में मदद करताहै।
इसकानियमित रूप से अभ्यासकरने वाले व्यक्ति कोहृदय रोग, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, कब्ज जैसी समस्याएंहोने की संभावना कमहो जाती है।
मानसिकतनाव, अवसाद, चिंता आदि के निदानके साथसाथ यहक्रोध, चिड़चिड़ापन और भय कोभी रोकता है।
लचीला, स्वस्थ और रीढ़ कीसभी कशेरुकाओं को मजबूत करताहै।
पैरोंऔर बाजुओं की मांसपेशियों कोमजबूत बनाता है। छाती काविकास करता है।
शरीरकी अतिरिक्त चर्बी को कम करताहै।
स्मरणशक्ति और आत्मशक्ति बढ़ाताहै।

English Source: https://www.delhi-magazine.com/2019/09/surya-namskar-shlokamantras-and-there.html

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