20 लाख करोड़ में  देश के मजदूरों का कितना हिस्सा ?

20 लाख करोड़ में देश के मजदूरों का कितना हिस्सा ?



कोरोना महामारी ने फिर से दिखा दिया कि गरीब लोगो का न देश है न ही उनके राज्य है। विदेशो से तो लोगो को हवाई जहाज भेज कर केंद्र सरकार उन्हें सुरक्षित वापिस देश में ले आये . पर देश का मजदुर वर्ग अपने ही देश में सुरक्षित अपने घर नहीं जा सका।

24 मार्च को lockdown की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने मजदूरों के नियोक्ताओं और मकान मालिकों से अपील की थी कि बंदी के दौरान वे ना सिर्फ मजदूरों को उनकी तनख्वाह तो दे हीं, मकान मालिक किराया भी ना लें।

प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मजदूरों से अपील की कि वे दिल्ली ना छोड़ें और उन्हें उनके घरों पर ही खाना मुहैया कराया जाएगा।
कुछ दिन तक तो सभी को खाना मुहैया करने के फोटो वायरल हुए।
पर कुछ दिन के बाद ये घोषणाएं , सिर्फ हवाई बातें ही साबित हुयी।
हमारे प्रधान मंत्री ने २० लाख करोड़ का पैकेज का एलान किया है। अगर इसमें से २०० करोड़ भी हमारे देश के लाखो लोगो को घर भेजने के लिए दिए जाते तो आज दशा काफी अच्छी होती।
इस २० लाख करोड़ के पैकेज में इस देश की जनता का भी कुछ हिस्सा होगा या नहीं ?
क्या ये २० लाख करोड़ सिर्फ पूंजीपतियों और व्यवसाय कर्ताओ के लिए ही है ?
अगर जीवित बचेंगे घर लौटते हुए तो ही देखा जायेगा।
बहुत से लोग सोच रहे होंगे की लोग वापिस क्यों जा रहे है?
अब हालत यह है कि मजदूरों से मकान मालिक किराया मांगने लगे हैं और ना देने की स्थिति में घर खाली कराने की धमकी देने लगे हैं। इसी तरह कुछ नियोक्ताओं ने एक महीने तो तनख्वाह दे दी, लेकिन दूसरे महीने का वेतन देने से इनकार करने लगे हैं।
एक मई से देशभर में श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चलाई जा रही है। ताकि प्रवासी श्रमिक आसानी से अपने घर लौट सके। लेकिन रेल में सीट नहीं मिलने से परेशान होकर देश में बड़ी संख्या में मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं।
आज देश भर में  हजारों की संख्या में मजदूर सड़कों पर भूखे, प्यासे, नंगे पांव अपने परिवार सहित पैदल चलते हुए नजर आ रहे हैं। सड़कों पर पैदल चलने के कारण मजदूरों के साथ आए दिन सड़क हादसे भी हो रहे हैं। जिनमें काफी संख्या में मजदूर मारे गए हैं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के औरैया में बिहार झारखंड से लौट रहे मजदूरों से भरे ट्रक से एक दूसरे ट्रक की टक्कर हो गई जिससे 25 मजदूरों की मौत हो गई। गत् दिनों महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास ट्रेन की चपेट में आने से 16 मजदूर कटकर मारे गए थे।

घर लौटने का साधन नहीं मिलने के कारण मध्य प्रदेश के रहने वाले ये लोग रेल की पटरियों के किनारे पैदल ही अपने घरों की तरफ चल पड़े थे तथा थकान के कारण रेल की पटरी पर ही सो गए थे। जिस कारण वहां से गुजर रही एक मालगाड़ी से कट गए।
लखनऊ के शहीद पथ पर साइकिल से छत्तीसगढ़ लौट रहा एक परिवार हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में पति-पत्नी की मौत हो गई लेकिन उनके दो बच्चे बच गए। साधन नहीं मिलने के कारण 4 लोगों का यह परिवार साइकिल से अपने गांव जा रहा था।

ऐसे और भी बहुत से घटनाये हुयी है। पर देश और राज्य सरकारे ने क्यों आँखे मूंद ली है। उन्हें अपने लोगो की समस्याएं क्यों दिखाई नहीं दे रही है ?

Original article is at https://www.delhi-magazine.com/2020/05/20-lakh-crore-package-and-labour-class-of-our-country/



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