अच्छे दिन का वादा देने वाले नरेंद्र मोदी , देश के लिए बुरे साबित होते जा रहे है .

चाहे 2014 का चुनाव था या 2019 का, बीजेपी के कमजोर से कमजोर कैंडिडेट को नरेंदर मोदी ने नाम से जीत हासिल हुयी। भारतीय जनता ने मोदी को इक मसीहा माना था। इसमें कोई २ राय नहीं की नरेंद्र मोदी ने कुछ वायदे पुरे किये। जैसे धारा 370 का खत्म करना हो या ३ तलाक कानून, या फिर जीएसटी। जिससे लोगो का उनमे विश्वास और ज्यादा हो गया था। जिसमे से कुछ फैसले ऐसे थे जिनको लोगो ने कष्ट सह कर भी स्वीकार कर लिया जैसे 500 और 1000 मुद्रा को बंद करना, वो भी बिना किसी परोपर तयारी के। जिनके घर शादी थी, या कोई और बड़ा प्रोग्राम था उन लोगों के लिए तो बुरा वक्त गुजरा।

पर उनके हाल ही में कुछ फैसले भारतीय जनता के लिए बड़े कष्टदायी साबित हुए और आमजन का दृष्टिकोण नरेन्द्र मोदी के बारे में पूरी तरह से बदल गया।
चाहे वो कोरोना की पहली लहर में ट्रम्प को लेकर रैलियां करना और फिर इक दम से बिना तयारी के लॉक डाउन लगा देना. जिससे सबसे ज्यादा गरीब वर्ग के मजदूरों को परेशानी हुयी। ३ कृषि बिल के कारण भी गरीब और माधयम वर्ग के लोगो में उनके प्रति नाराजगी बढ़ गयी है।

पढ़ा – लिखा वर्ग भी उनकी कोरोना महामारी के समय बंगाल में रैली करने को लेकर गुस्से में है। कहा अच्छे दिन का सपना दिखा कर अपनी पार्टी की महत्वाकांक्षा को पूरा करने में लगे है।

पर मोदी जी ने इक आत्मनिर्भर भारत का जो स्वप्न दिखाया था, वो कोरोना की दूसरी लहर आते ही धराशायी हो गया , इतना बड़ा हमारा देश जो चाइना से पर्तिस्पर्धा की बातें करते है, बांग्ला देश जैसा छोटा सा देश हमे ppe किट और दूसरी दवाइयां भेज कर सहायता कर रहा है।
क्या हमारी इतनी बड़ी इकॉनमी सिर्फ नाम की ही रह गयी है। क्या इतने बड़े देश अस्थायी तौर पर ऑक्सीजन प्लांट्स नहीं लगाए जा सकते। जब चीन ने रातों ही रात में १० हजार बेड का हॉस्पिटल खड़ा कर सकता है तो हम क्यों नहीं कर पा रहे।

कब तक ऐसी चुनावी रैली करते रहेंगे, कुछ महामारी के लिए क्या कदम उठाएंगे।

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